देश में आज जो हालात बन रहे हैं उससे तो यही
लगता है कि विकास को तो हर हालत में होना ही पड़ेगा.दो,दो विकास पुरुष पूरब और पश्चिम से विकास करने के लिए निकल पड़े हैं,ऐसे में भला विकास होने से कौन रोक सकता है.बिहार में
विकास हुआ है, वहां सड़कें बन गयी हैं. गुजरात
में विकास हुआ है वहां टाटा ने अपनी फैक्ट्री लगा ली है. अब अगर
रिपोर्ट कहती है की वहां कुपोषण और भुखमरी दूसरे राज्यों से भी अधिक है तो क्या हुआ
,विकास तो हुआ है. अगर विकास हो रहा है
तो आधे लोग कुपोषण का शिकार हैं यह कोई मुद्दा नहीं रह जाता.नहीं
नहीं ऐसा मत सोचिए कि विकास सिर्फ बिहार और गुजरात में ही हो रहा है. यह विकास का मौसम है और विकास हर जगह,हर क्षेत्र में
हो रहा है. सत्ता पक्ष, विपक्ष,
नेता अभिनेता सब के सब विकास करने पर उतारू हैं.भाई लोग कहेंगे कि कहाँ हो रहा है विकास दिखाई तो नहीं दे रहा.अरे भाई, हर चीज़ दिखाई नहीं देती है. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो दिखाई नहीं देती हैं,उन्हें
ज्यामिति के प्रमेय की तरह सिद्ध करना पड़ता है. विकास=सेंसेक्स+ विकास दर+अरबपतियों की
संख्या.
अगर सेंसेक्स ऊपर जा रहा है तो पक्का
समझ लो देश का विकास हो रहा है. कुछ महीनों
से ऐसा हुआ कि सेंसेक्स ऊपर नहीं जा रहा था. यह बहुत चिंता का
विषय था.लेकिन हमारी सरकार तो पूरी तरह विकास करने पर उतारू है
फिर उसे यह कैसे बर्दाश्त हो सकता था कि सेंसेक्स ऊपर न जाए. सो उसने तुरंत FDI यानी प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश
को मंजूरी दे दी. कल ndtv पर कांग्रेसी
नेता जगदम्बिका पाल ने बताया कि सेंसेक्स ऊपर नहीं जा रहा था इसलिए FDI को मंजूरी दी और उसका प्रभाव भी हुआ यानी एक दिन में ही सेंसेक्स 400
अंक से ज़्यादा ऊपर पहुँच गया. उन्होंने FDI
का विरोध कर रहे भाजपा नेता से पूछा कि आप विरोध कर रहे हैं,
आपके मेनिफेस्टो में नहीं लिखा था कि आपकी सरकार बनी तो FDI को मंजूरी देगी? तो दोस्तों विकास के लिए सेंसेक्स का
ऊपर जाना ज़रूरी है और सेंसेक्स को ऊपर ले जाने के लिए FDI को
मंजूरी देना ज़रूरी है. तो देश के विकास के लिए FDI को मंजूरी देना तो तय है. 2014 में चुनाव है.सो आपको तय करना है कि आप विकास कांग्रेस से करवाना चाहेंगे,भाजपा से करवाना चाहेंगे, तीसरे मोर्चे से करवाना चाहेंगे
या फिर चौथे मोर्चे से करवाना चाहेंगे.
विकास का दूसरा पैमाना है विकास दर.
हमारी विकास दर तो दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रही है. अगर आपके काफिले का सरदार सक्षम है तो फिर आपको मंजिल मिल ही जाएगी.
फिर हमारे देश के पास तो दो दो सरदार हैं. योजना
आयोग के सरदार विकास के लिए अच्छी योजनाएं बना रहे हैं और देश के सरदार उन्हें लागू
कर रहे हैं. मैंने प्रधानमंत्री को आज तक कभी बोलते नहीं देखा
सिर्फ एक बात के अलावा-वे देश की विकास दर किसी भी कीमत पर नहीं
गिरने देंगे. मैं जब भी टीवी खोलता हूँ एक चित्र बार बार दिखाई
देता है,हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने वाएं हाथ को कोट
की जेब में डालकर तेज़ी से भागते हुए दिखाई देते हैं. उनके साथ
हाथों में फाइलें पकड़े चार पांच लोग और होते हैं. जैसे वे न
किसी को देखना चाहते हों,न किसी को सुनना चाहते हों, बस भागे जा रहे हैं. मुझे यह तस्वीर देख कर पूरा यक़ीन
हो गया है कि वे ज़रूर विकास दर बढ़ाने के लिए दौड़े जा रहे हैं. तो हमारे प्रधानमंत्री प्रतिबद्ध हैं कि किसी भी हालत में देश की विकास दर
नहीं गिराने देंगे. जहां तक कोयला घोटाले पर भाजपा ने संसद नहीं
चलने दी तब भी उन्होंने यही सफाई दी कि संसदीय प्रक्रिया लम्बी थी,विकास दर बढ़ानी थी,इसलिए बिना समय गंवाए कंपनियों को
तुरंत कोयला दे दिय इस पर विपक्ष ने प्रेस कोंफ्रेंस कर के जो कहा उसका मतलब यह था
कि हो सकता है कि प्रधानमंत्री की नीयत विकास दर को तेज़ करने की रही हो पर हकीकत में
ऐसा नहीं हुआ.विकास दर कहाँ बढ़ी?कोयला अभी
भी खदानों में पड़ा है और कंपनियों को पॉवर की ज़रुरत है. तो
दोस्तों देश के विकास के लिए तेज़ी से विकास दर बढ़ाने की ज़रुरत है और विकास दर बढ़ाने
के लिए कंपनियों को पॉवर की ज़रुरत है और पॉवर कोयले से मिलाती है. इसलिए बिना किसी विलम्ब के कोयला कंपनियों को दिया ही जाना है. चुनाव २०१४ नज़दीक है.अगर आप को लगता है कि कांग्रेस ने
कोयला के खदान में विलम्ब कर दिया तो आप इसके लिए भाजपा या तीसरा मोर्चा या चौथा पांचवां जो भी पसंद करें वह चुन
सकते हैं.
विकास का तीसरा मानक
है ,अरबपतियों की संख्या. जो फ़ोर्ब्स पत्रिका के बारे में जानते
होंगे वे यह बात ज़रूर जानते होंगे कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक अरबपति हमारे देश
में ही बढ़ रहे हैं यानी इससे अंतिम रूप से सिद्ध हो जाता है कि देश तेज़ी से विकास कर
रहा है. मैं जानता हूँ कुछ लोगों को देश का
विकास रास नहीं आ रहा है और वे हमेशा इस जुगाड़ में लगे रहते हैं कि सिद्ध कर सकें
कि भारत तेज़ी से विकास नहीं कर रहा.वे लोग ज़रूर यही कहेंगे कि देश में आधे से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं,लाखों किसान आत्महत्या कर रहे हैं, गरीब और गरीब होता
जा रहा है, 70% लोग बीस रु. रोज़ पर गुजारा कर रहे हैं वगैरह,वगैरह. देखिए बात सीधी सी है उसे समझने की कोशिश करिए.विकास का पैमाना अमीरों
की संख्या है न कि ग़रीबों की संख्या. अब अगर सरकार ऐसी नीतियाँ बनाए कि 70% जनता हज़ार
रु. रोज़ कमाने लग जाए तो उससे क्या हो जाएगा. इस बात को ऐसे समझो- माना देश की कुल
संपत्ति दस हज़ार अरब रु. है .अगर सब को यह संपत्ति बराबर बराबर बाँट दी जाए तो सब के
हिस्से में दस दस हज़ार आएँगे. इससे देश की बड़ी बदनामी होगी. दुनिया कहेगी भारत में
दस हज़ार से ज़्यादा किसी की औक़ात नहीं है. अब अगर नौ लोगों को एक एक अरब दे दिया जाए
और बाकी जनता एक अरब में गुजारा कर ले तो दुनिया कहेगी कि भारत तेज़ी से विकास कर रहा
है. उसने नौ अरबपति पैदा किए. लोग देश के लिए क्या क्या नहीं कर गए. लोगों ने जान तक
क़ुर्बान कर दी. तो सत्तर प्रतिशत लोग, देश के विकास के लिए इतना
तो कर ही सकते हैं कि बीस रु. में खर्च चला लें.
और अंत में सीधी सी बात तो यह है कि
भौतिकी का सिद्धांत है हर राशि की एक इकाई होती है आप उसे उसी की इकाई में नाप सकते
हैं. आप लम्बाई को मीटर में ही नापेंगे किलोग्राम में नहीं. आप चाल को किलोमीटर प्रति
घंटा की दर से ही नापेंगे. इसी तरह विकास को विकास दर से ही नापेंगे. अब अगर भारत की
विकास दर दुनिया में सब से तेज़ है तो मान लेना चाहिए देश का तेज़ी से विकास हो रहा
है.