Friday, 1 July 2011

हाय! चवन्नी तू क्यों बंद हो गई

आख़िर चवन्नी बंद हो ही गई. जैसा कि होना ही था बैंक ने इधर चवन्नी के बंद होने की घोषणा की उधर चवन्नी छाप लेखक जो बेसब्री से इस घोषणा का ही इंतज़ार कर रहे थे, कलम लेकर मैदान में उतर आए हैं और उन्होंने अख़बारों के पन्ने रँग मारे हैं -हाय! चवन्नी तू बंद हो गई.
चवन्नी मीडिया में छा गई है. बड़ी - बड़ी स्टोरियां चल रही हैं चवन्नी पर. संपादकीय में धीर गंभीर लेख छप रहे हैं. पूरी सतर्कता बरतते हुए कि चवन्नी से जुड़ा कोई दार्शनिक पहलू छूट न जाए. साहित्यकारो की राय ली जा रही है कि वे भी चवन्नी से जुड़े अपने संस्मरण जनता के साथ शेयर करें. अर्थशास्त्रियों के विचार लिए जा रहे हैं कि चवन्नी बंद होने से देश की अर्थ व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा. लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा उभर के आया है वह यह है कि चवन्नी के बंद होने से धर्म और भारतीय संस्कृति पर संकट के बादल छा गए हैं. महंत ठगानद ने हिंदू धर्म के वैज्ञानिक कारणों की तर्ज पर उसके ठोस कारण बताए हैं. उनका मानना है कि सवा रुपए का परसाद चढ़ाने की हिंदू धर्म की मान्यता है. जैसे हर आदमी की खाने की अपनी क्षमता होती है वैसे ही भगवान की भी क्षमता है. सवा रुपए का परसाद चढ़ाने की आखिर यों ही मान्यता नहीं बनी है. यह मन्यता डेढ़ रुपया या एक रुपया भी हो सकती थी. बात साफ़ है जो पुन्य सवा रुपए के परसाद से मिलता है वह डेढ़ रुपए के परसाद से नहीं मिल सकता. दर असल चवन्नी बंद कर के धर्म और भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात किया है.
महंत ठगानंद की बात से प्रभावित हो कर बीजेपी के एक उत्साही कार्यकर्ता अखबार हाथ में लेकर कार्यालय पहुँचे और वरिष्ठ नेताओं के साथ विमर्श करते हुए बोले - पार्टी कोई मुद्दा उठाए जनता उस पर ध्यान नहीं देती. बाबा रामदेव पर उम्मीद थी उन्हें काँग्रेस ने खदेड़ दिया. अन्ना से उम्मीद थी, वे भ्रष्टाचार को मुद्दा बना ले जाएँगे पर लगता है उनका उपयोग भी काँग्रेस ही कर ले जाएगी. ऐसे में हाथ आए मुद्दे को निकलने नहीं देना चाहिए. अख़बार को आगे कर के बोले- सरकार ने चमन्नी बंद कर के धर्म और भारतीय संस्कृति पर हमला किया है. अब सवा रुपए का परसाद आम आदमी नहीं चढ़ा पाएगा. एक बार हमने मुद्दा उठा दिया तो समझो जनता एकदम गोलबंद हो जाएगी. चुनाव नजदीक है, समझो यू.पी में अपना मुख्यमंत्री पक्का है.
पास में खड़ा एक नौजवान कार्यकर्ता एकदम उत्साह से भर कर बोला- बिलकुल ठीक, आप कहें तो कल से ही कार सेवा शुरू करा देते हैं.
एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें घूरकर देखा. बोले- कहाँ कार सेवा शुरू कराओगे?
वरिष्ठ नेता के आक्रमण को बेचारा नौजवान कार्यकर्ता झेल नहीं पाया. उसकी कुछ समझ नहीं आया तो उसने प्रस्ताव रखने वाले कार्यकर्ता की ओर देखा पर कार सेवा का प्रस्ताव उन्होंने तो रखा नहीं था. सो वे क्या जवाब देते. थोड़ी देर चुप्पी झेलने के बाद वरिष्ठ नेता जी बिगड़ पड़े - तुम समझते हो चवन्नी बंद होने का मुद्दा तुम उठा दोगे और जनता इतनी पागल है कि वह तुम्हें वोट देने दौड़ पड़ेगी ? तुम लोगों की इन चवन्नी छाप हरकतों की वजह से ही पार्टी की यह हालत हुई है कि पार्टी अब कोई मुद्दा उठाए जनता उसे सीरियसली नहीं लेती. किसी ज़माने की फ़ायर ब्रिगेड उमा भारती तक यह कह रही हैं कि अब मंदिर कोई मुद्दा नही है और तुम चवन्नी के बूते यू.पी में मुख्यमंत्री बनाने के सपने देख रहे हो.
ख़ैर मामला आगे नहीं बढ़ा और भाजपा के इतिहास में जो मुक़ाम मंदिर का है वैसा मुक़ाम हासिल करने से चवन्नी रह गई.
तो आजकल चवन्नी मीडिया में छाई हुई है. सो गेट पर खड़े सोनू के सामने हमारे मुँह से निकल गया - क्यों बेटा तुमने सुना चवन्नी बंद हो गई.
लडका तपाक से बोला- हाँ अंकल आजकल मीडिया में बहुत हल्ला मचा हुआ है, चवन्नी बंद हो गई. क्या चवन्नी कोई एक्सप्रेस ट्रेन थी जिसके बंद होने से जनता को भारी परेशानी हो रही है. आख़िर यह चवन्नी है क्या बला जिसके बंद होने से मीडिया में इतना बवाल मचा हुआ है.
मैं सोनू को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला- क्या टीवी नहीं देखते , अखबार नहीं पढ़ते? मीडिया में इतना हल्ला मचा हुआ है और तुम्हें यह ही नहीं पता चवन्नी क्या है.
टीवी और अख़बार का काम ही है अंट संट बातें बकते रहना. उन्हें याद रख के क्या उखाड़ लेंगे. मीडिया की अंट संट बातें याद रखें कि गर्ल फ़्रैंड्स के नंबर याद रखें.
लडके ने मन में कहा. पर प्रत्य्क्षतः कुछ बोला नहीं. मैंने कहा - चवन्नी यानी पच्चीस पैसा इंडियन करेंसी थी जिसे बंद करने की रिजर्व बैंक ने घोषणा कर दी है. लडके ने आश्चर्य से देखा- पच्चीस पैसे ! ये कब चलते थे ? 20 साल का तो मैं हो गया मैंने तो अपने होशो- हवास में कभी चवन्नी देखी नहीं. खैर चलती होगी कभी. पर मीडिया वाले अब इतना हल्ला क्यों मचा रहे हैं?
मैंने लड़के को देखा. चुपचाप देखता रहा. भला मैं उसकी बात का क्या उत्तर देता . मीडिया जाने कैसी कैसी बातों पर हल्ला मचाता रहता है अब मेरे पास उसका क्या जवाब है?

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