सी.बी.आई. और जांच
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-राम प्रकाश अनंत
लो जी उधर घोटाला हुआ और इधर जांच शुरू हो गई. घोटाला हो और उसकी सी.बी.आई जांच न हो तो यह तै ही नहीं हो पाता कि वह घोटाला है भी कि नहीं.आज करोड-दो करोड का घोटाला तो किसी भी ऑफ़िस में हो जाता हैं पर उसे कौन घोटाला मानता है.कारण वही कि उसकी सी.बी.आई जांच नहीं होती.इसलिए ही हर घोटाले के बाद जोर-शोर से यह आवाज़ उठाई जाती है कि उसकी सी.बी.आई जांच कराई जाए. तो एक बार फिर अब तक का सब से बडा घोटाला सामने आ गया है और उसकी सी.बी.आई जांच शुरू हो चुकी है.
लोग कह रहे है कि सी.बी.आई ने देर से जांच शुरू की है. सी.बी.आई न देर से जांच शुरू करती है न जल्दी शुरू करती है.उससे तो जब कह दो तभी जांच शुरू कर देती है.सी.बी.आई एक बेहद आग्याकरी बच्चे की तरह है.उससे कह दो जांच कर ले, कर लेगी.उससे कह दो, जांच बंद कर दे, बंद कर देगी.उससे कह दो सबूत इकट्ठे कर ले, सबूत इकट्ठे कर लेगी.उससे कह दो सबूत मिटा दे, मिटा देगी.उससे कह दो केवल जांच करना है और कुछ नहीं करना है वह केवल जांच करेगी और कुछ नहीं करेगी.
ऐसे ही एक केस को लेकर जब सी.बी.आई कोर्ट पहुँची तो जज ने पूछा-क्या किया आपने?उत्तर-जांच की.कोई सबूत मिला?उत्तर-नहीं.कोई अपराधी साबित हुआ?उत्तर-नहीं. फिर आपने क्या किया? उत्तर- जांच की.आपको क्या करना था? केवल जांच करनी थी.
हम लोग सोच रहे है अब तक के सबसे बडे घोटाले की जांच के बाद क्या होगा?कमाल हैं !हम अब तक इतना भी नहीं समझ पाए?आज तक हर घोटाले के बाद जांच हुई है और जांच के बाद क्या हुआ है?कुछ भी नहीं. इसकी भी जांच होगी और जांच के बाद कुछ भी नहीं.
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