नायक दो तरह के होते हैं। वे लोग जो
समाज के लिए कोई बड़ा काम करते हैं उन्हें नायक कहते हैं और दूसरे वे जो
फिल्मों में अच्छा काम करने का अभिनय करते हैं उन्हें नायक कहते
हैं। फिल्मों में अच्छा काम कुछ भी हो सकता
है। जैसे हीरोइन को प्यार करना अच्छा काम है। दूसरा व्यक्ति उस अच्छे काम
में बाधा डालता है. हीरो उसे मारता है. पिटने वाले को खलनायक और पीटने वाले
को नायक कहते हैं।
यह बात अब पूरी तरह स्थापित हो गई है कि आमिताभ बच्चन महानायक हैं। वे पूरी सदी के महानायक हैं। मैं भी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि वे महानायक हैं। वैसे तो वे अभिनेता हैं और उन्होंने तमाम फिल्मों में नायक का अभिनय किया है। लेकिन मैं उन्हें इसलिए महानायक नहीं मानता कि उन्होंने फिल्मों में नायक का बहुत अच्छा अभिनय किया है। मैं उन्हें इसलिए महानायक मानता हूँ कि वे जीवन भर समाज को बेहतर बनाने के लिए लड़ते रहे। जहां भी अत्याचार हुआ,भ्रष्टाचार हुआ, इस समाज को बदलने के लिए वे पूरी व्यवस्था से अकेले ही भिड़ गए। दस बीस,पच्चीस पचास जितने भी गुंडे, मवाली, अत्याचारी सामने पड़ गए,सबको अकेले ही निबटा दिया। दबे कुचले गरीब शोषितों के लिए वे हमेशा व्यवस्था से टकराते रहे। उन्होंने कुली व ताँगे वालों में यह बोध भरा कि कुली व तांगे वाला होना कोई हीनता की बात नहीं है. अगर एक कुली को अल्लाह रक्खा मिल जाए और एक तांगे वाले को मोती मिल जाए तो फिर वे धरती से किसी भी तरह का अत्याचार मिटाने में सक्षम हैं।रईस से रईस की बेटी को वे पटाने की क्षमता रखते हैं। आज आमिर का ज़माना है और वे अपनी फिल्मों में आई.पी. एस. का रोल करते हैं।वो ज़माना अमिताभ का था जब दरोगा को ही सब कुछ समझा जाता था। अमिताभ बच्चन ने भी दरोगा यानी पुलिस इंस्पेक्टर के कई रोल किए और इस बात की उम्मीद जगाई कि अगर पुलिस इंस्पेक्टर ईमानदार हो जाए तो सब कुछ बदला जा सकता है। अमिताभ बच्चन हमेशा शोषित और गरीबों की लड़ाई लड़ते रहे।चाहे उन्होंने तांगे वाले का रोल किया,कुली का किया या पुलिस इंस्पेक्टर का हर जगह वे गरीब आदमी के लिए ज़ुल्म और अत्याचार से टकराते नज़र आते हैं।जहां तक कि वे अमीर बाप के बेटे हुए तब भी अपने बाप के विरुद्ध पैग लगा कर वे गरीबों के लिए ही लड़ते रहे।
यह बात अब पूरी तरह स्थापित हो गई है कि आमिताभ बच्चन महानायक हैं। वे पूरी सदी के महानायक हैं। मैं भी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि वे महानायक हैं। वैसे तो वे अभिनेता हैं और उन्होंने तमाम फिल्मों में नायक का अभिनय किया है। लेकिन मैं उन्हें इसलिए महानायक नहीं मानता कि उन्होंने फिल्मों में नायक का बहुत अच्छा अभिनय किया है। मैं उन्हें इसलिए महानायक मानता हूँ कि वे जीवन भर समाज को बेहतर बनाने के लिए लड़ते रहे। जहां भी अत्याचार हुआ,भ्रष्टाचार हुआ, इस समाज को बदलने के लिए वे पूरी व्यवस्था से अकेले ही भिड़ गए। दस बीस,पच्चीस पचास जितने भी गुंडे, मवाली, अत्याचारी सामने पड़ गए,सबको अकेले ही निबटा दिया। दबे कुचले गरीब शोषितों के लिए वे हमेशा व्यवस्था से टकराते रहे। उन्होंने कुली व ताँगे वालों में यह बोध भरा कि कुली व तांगे वाला होना कोई हीनता की बात नहीं है. अगर एक कुली को अल्लाह रक्खा मिल जाए और एक तांगे वाले को मोती मिल जाए तो फिर वे धरती से किसी भी तरह का अत्याचार मिटाने में सक्षम हैं।रईस से रईस की बेटी को वे पटाने की क्षमता रखते हैं। आज आमिर का ज़माना है और वे अपनी फिल्मों में आई.पी. एस. का रोल करते हैं।वो ज़माना अमिताभ का था जब दरोगा को ही सब कुछ समझा जाता था। अमिताभ बच्चन ने भी दरोगा यानी पुलिस इंस्पेक्टर के कई रोल किए और इस बात की उम्मीद जगाई कि अगर पुलिस इंस्पेक्टर ईमानदार हो जाए तो सब कुछ बदला जा सकता है। अमिताभ बच्चन हमेशा शोषित और गरीबों की लड़ाई लड़ते रहे।चाहे उन्होंने तांगे वाले का रोल किया,कुली का किया या पुलिस इंस्पेक्टर का हर जगह वे गरीब आदमी के लिए ज़ुल्म और अत्याचार से टकराते नज़र आते हैं।जहां तक कि वे अमीर बाप के बेटे हुए तब भी अपने बाप के विरुद्ध पैग लगा कर वे गरीबों के लिए ही लड़ते रहे।
अमिताभ बच्चन सिर्फ
फिल्मो में ही अच्छे रोल नहीं करते थे अपनी निजी ज़िंदगी में भी वे महानायक ही
हैं।आजकल नेताओं पर कैसे कैसे आरोप लगते रहते हैं और वे ढीठ बने रहते
हैं।अमिताभ बच्चन ने शादी की तो चाकू छुरियाँ तेज़ करने वाली एक लड़की के साथ की।वे
राजनीति में आए, बोफोर्स में उनका नाम उछला तो तुरंत राजनीति छोड़ दी। उन पर
आरोप लगा की बाराबंकी में वे किसानों की ज़मीन हथियाना चाहते हैं तो उन्होंने
तुरंत वह ज़मीन जिसे वे हथियाना चाहते थे किसानों को दान दे दी।समाज के
हित में उन्होंने कभी विवाद को बढाया नहीं। इतने पर भी
सरकारें आए दिन उनके घर इन्कमटेक्स वालों को भेजती रहती हैं पर यह उनकी महानता ही
है कि उन्होंने मामले को तूल देने के बजाय उसी जगह
शांत कर दिया.
पिछले दिनों मैं टी वी पर उनका
इंटरव्यू देख रहा था तो बड़ा दुःख हुआ। वे कह रहे
थे -केबीसी के लिए वे आज भी बहुत मेहनत करते हैं। केबीसी समाज बदल रहा है।लोग अपने ज्ञान के बदले पैसे जीत के ले जाते हैं। इससे समाज में
समानता आ रही है,समाज बदल रहा
है।
कितने शर्म की बात है की हम अपने
महानायक के साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं। उन्होंने समाज बदलने के लिए पूरी उम्र लगा
दी। और आज उन्हें आराम की ज़रुरत है तब भी हम
समाज बदलने के लिए उन से अत्यधिक मेहनत करा रहे
हैं। यह उम्र उनके लिए मेहनत करने की नहीं है।पर अमिताभ बच्चन महान हैं महानायक हैं और यही उनकी महानता है।वे उम्र के इस
पड़ाव पर भी समाज बदलने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे
हैं।वे ज़रूरतमंदों को करोड़पति बनाने का मंच उपलब्ध कराते हैं। लोग अपने ज्ञान के बल पर लाखों करोड़ों कमा जाते हैं। यह काम भी केबीसी और
हमारे महानायक ही कर सकते हैं वरना ज्ञान के बल पर आज
के समय में करोड़पति तो किया लखपति बनना भी असंभव है। आप ज्ञान के बल पर डाक्टर ,इंजीनियर,वैज्ञानिक
बन सकते हैं पर पी डब्लू डी जैसे किसी
डिपार्टमेंट में नौकरी न मिले तो करोडपति नहीं
बन सकते। ऐसे में हमारे महानायक ज्ञान के बल पर लोगों को करोड़पति बना रहे हैं और समाज को बदल रहे हैं तो यह मामूली बात नहीं है। सबसे बड़ी
बात तो यह है उन्होंने लोगों के मन में
करोड़पति बनने की इच्छा पैदा की है । वैसे तो अमिताभ
बच्चन समाज बदलने के लिए इस कार्यक्रम के लिए इतनी मेहनत करते
हैं।उन्होंने तमाम ज़रुरतमंदों को लाखों दिए हैं।वे ज्ञान के प्रदर्शन का पूरा मौक़ा देते हैं।तीन-तीन हेल्प लाइन देते हैं।आखिर समाज बदलने
के लिए इससे अधिक वे और क्या कर सकते हैं।इससे
बड़ी बात यह है कि उन्होंने लोगों में यह भावना
भरी है कि ज्ञान के बल पर भी करोड़पति बना जा सकता है।तमाम प्रोफेसर
किस्म के लोग जिन्हें अपने ज्ञान पर ज़्यादा ही भरोसा होता है फोन लगाने में जुटे रहते हैं।ऐसे ही हमारे एक मित्र हमसे कह रहे थे - यार
कैसे कैसे लोग केबीसी में पहुँच जाते हैं।
सिंपल से क्वेश्चन का जवाब भी नहीं दे पाते।
उसके बाद वे सीधे मुझसे मुखातिब हुए।बोले- यार तुम तो पढ़ते लिखते
रहते हो केबीसी में कोई जुगाड़ है? कभी
भी नंबर मिलाओ मिलता ही नहीं।हम और तो कुछ नहीं
कर सकते थे।सो उन्हें सांत्वना दी - लगे रहो।कहते हैं लगे रहने से तो एक दिन भगवान भी मिल जाते हैं।फिर कुछ किस्मत की भी बात होती
है।किस्मत में लिखा होगा तो ज़रूर मिलेगा केबीसी का
नंबर। हमारी इस बात से मित्र महोदय बेहद प्रभावित
हुए।बोले-किस्मत की बात तो है ही वरना ऐसे ऐसे लोगों का नंबर
मिल जाता है और हमने इतनी बार मिलाया एक बार भी नहीं मिला।लगता है
पूरी ज़िंदगी में मित्र को किस्मत पर इतना
विश्वास नहीं हुआ होगा जितना केबीसी को नंबर
लगाने के बाद हुआ है।
तो हमारे अमिताभ बच्चन सदी के महानायक हैं।लेकिन इस उम्र में भी वे समाज बदलने के लिए जो मेहनत कर रहे हैं उसके लिए उन्हें सदी क्या अगली सदी का भी महानायक कहा जाना।सदी की तो अभी शुरुआत ही हुई है। लंबा समय पड़ा है।लेकिन चौथाई सदी गुज़र चुकी है और उनके आसपास अभी कोई ऐसा महानायक दिखाई भी नहीं दे रहा है।सो कोई उन्हें सदी का महानायक माने या न माने सवा सदी का महानायक तो माना ही जा सकता है. कोई माने या न माने मैं तो मानता हूँ-सवा सदी के महानायक हैं हमारे अमिताभ बच्चन।
तो हमारे अमिताभ बच्चन सदी के महानायक हैं।लेकिन इस उम्र में भी वे समाज बदलने के लिए जो मेहनत कर रहे हैं उसके लिए उन्हें सदी क्या अगली सदी का भी महानायक कहा जाना।सदी की तो अभी शुरुआत ही हुई है। लंबा समय पड़ा है।लेकिन चौथाई सदी गुज़र चुकी है और उनके आसपास अभी कोई ऐसा महानायक दिखाई भी नहीं दे रहा है।सो कोई उन्हें सदी का महानायक माने या न माने सवा सदी का महानायक तो माना ही जा सकता है. कोई माने या न माने मैं तो मानता हूँ-सवा सदी के महानायक हैं हमारे अमिताभ बच्चन।