Monday, 20 June 2011

आसान नहीं है बड़ा नेता बनना

मेरे ख़याल से राजनीति विज्ञान में इस बात पर विस्तार से शोध होना चाहिए कि कोई व्यक्ति बडा नेता कैसे बनता है. बहुत से लोग बड़ा नेता बनने के लिए ज़िंदगी भर हाथ पैर मारते रहते हैं और बड़ा नेता नहीं बन पाते. बहुत से लोगों को जुम्मा - जुम्मा 4 दिन राजनीति में आए नहीं होते और वे बड़े नेता बन जाते हैं. कूछ तो राजनीति में आने से पहले ही बड़े नेता बन जाते हैं.
अब सोनिया को ही देख लीजिए. राजनीति में आने की देर नहीं हुई वे दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला बन गईं. बड़े - बड़े खिलाड़ी जो प्रधानमंत्री बनने के लिए उतने ही बेचैन थे जितने कि आज आडवाणी पर सोनिया के मैदान में आते ही आउट हो गए.
बहुत से लोग यही समझते हैं कि खादी का कुर्ता व पायजामा पहनने भर से आदमी नेता बन जाता है. मेरे पड़ौस में एक सज्जन रहते हैं. पता नहीं अचानक उन्हें क्या सूझी कि एक दिन खादी का कुर्ता पायजामा गाँठ आए. अच्छे- भले शरीफ़ आदमी को लोग 'आइए नेता जी' कहने लगे.
बहुत से लोग समझते हैं कि भाषण देना सीख जाओ तो नेता बन जाते हैं. पर नेता बनना इतना आसान थोड़े है. अगर ऐसा होता तो वरुण गाँधी कब के नेता बन गए होते. इतना ज़ोरदार भाषण दिया फिर भी नेता बनना तो दूर लेने के देने पड़ गए.
कुछ लोग कहते हैं कि राजनीति में परिवारवाद है, बाप बड़ा नेता है तो बेटा नेता बन जाता है. कुछ हद तक बात ठीक हो सकती है पर हमेशा ऐसा नही होता. अगर आप को मेरी बात पर विश्वास न हो तो क्ल्याण सिंह से पूछ लीजिए. वे तो बहुत बड़े नेता रहे हैं. बेटे के चक्कर में भाजपा और मुलायम के बीच पेंडुलम की तरह घूमते रहे और इसी पेंडुलमवाजी में अंततः उनके राजनीतिक जीवन की घड़ी ही बंद हो गई. अब तो शायद उसमें जंग भी लग गई होगी. अब वह कभी दोबारा चलने लायक़ हो पाएगी इसमें शक़ है.
बड़ा नेता कैसे बना जा सकता है हालांकि इसके बारे में कोई ठोस या सार्वभौमिक नियम नहीं है, फिर भी कुछ केस देखकर बड़ा नेता बनने के तरीक़ों को समझा जा सकता है.
अब राहुल गाँधी को ही देख लीजिए. जाने कितने चतुर सुजानों ने कॉग्रेस के दरबार में ज़िंदगी गुज़ार दी और दरबारी के दरबारी ही बने रह गए. अपने युवराज को देखो राजनीति का क ख ग सीखा नहीं कि युवराज भी बन गए. ऐसे देखा जाए तो बड़ा नेता बनने के लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है, बस आप युवा होने चाहिए, आपको रोड शो करना आना चाहिए, जब कभी किसी दलित की झोपड़ी में जाकर एक दो कौर रोटी खाना आना चाहिए, अगर दूसरे की सरकार जनता पर लाठियां चलाए तो आप को भारतीय होने पर शर्म आनी चाहिए और आपकी सरकार गोली चलाए तो चुप बैठना आना चाहिए. लेकिन इतना कर लेने से ही बड़े नेता नहीं बन जाते अगर इतने से बन जाते तो इतना करना कोई मुश्किल काम नहीं है, इतना तो कोई भी कर लेता.
यों उमा भारती के केस को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि अगर आपको मुसलमानों को गाली गलौज़ करने के अलावा और कुछ नहीं आता है तब भी आप बड़े नेता बन सकते हैं पर बड़ा नेता बनना इतना आसान भी मत समझ लेना. वास्तव में समय समय की बात है वरना उमा उसी टैक्निक को अपना कर इतनी बड़ी नेता बन गईं और वरुण गांधी ने वही टैक्निक अपनाई तो बेचारे कहीं के नहीं रहे.
खैर मैंने तो कुछ केसों पर रोशनी डालते हुए समझे की कोशिश की है कि बड़ा नेता कैसे बना जा सकता है. बाक़ी सही सॉल्यूशन तो तभी मिल पाएगा जब यह विषय राजनीति विज्ञान के कोर्स में लग जाएगा और कोई इस पर शोध करेगा.

No comments:

Post a Comment