Monday, 27 August 2012

डाका,भ्रष्टाचार और काला धन ही असली लोकतंत्र है

           हम लोकतंत्र में रह रहे हैं इसलिए हमें लोकतंत्र के कायदे कानून समझने चाहिए. ख़ास तौर से एक नेता के लिए तो ये अति आवश्यक है कि वह लोकतंत्र के कायदे कानून अच्छी तरह समझ ले तभी ज़ुबान से कुछ बाहर निकाले. लोकतंत्र का कायदा है कि नेता घोटाला करे और पकड़ में आ जाए तो कहे लोकतंत्र में घोटाला बरदाश्त नहीं किया जाएगा , चोरी करे और कहे लोकतंत्र में चोरी बरदाश्त नहीं की जाएगी, ह्त्या करे, बलात्कार करे और कहे उसे अदालत पर पूरा विश्वास है. सो यही ग़लती शिवपाल यादव से हो गयी. उन्होंने लोकतंत्र के कायदे कानून समझे नहीं और अपने सरल स्वभाव में सीधी सच्ची बात बोल दी कि हे अधिकारियो चोरी करो पर डाका मत डालो. नेता नेता का भी फर्क है. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कभी इंदिरा गांधी ने खुद कहा था कि भ्रष्टाचार पूरी दुनिया में है और वह संस्थागत है. कोई बताए कि इस बात का क्या अर्थ है ? क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि जो भ्रष्टाचार है वह लोकतंत्र का हिस्सा है हम लोकतंत्र में जी रहे हैं इसलिए लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए भ्रष्टाचार को तेज़ करो. जिन्होंने 9 अगस्त का बाबा रामदेव का भाषण सुना होगा वे जानते हैं कि बाबा रामदेव बचपन से ही इंदिरा गांधी के भक्त हैं और अब वे भ्रष्टाचार ख़त्म करने व काला धन वापस लाने के लिए रामलीला मैदान में रामदेव लीला कर रहे हैं. शिवपाल यादव ने कहा कि हे अधिकारियो चोरी करो पर डाका मत डालो तो जितने अधिकारियों के साथ मिल कर डाका डालने वाले नेता थे उन्हें बहुत बुरा लगा कि शिवपाल तो डाका डालने के लिए मना कर रहे हैं. लोकतंत्र का कायदा है कि केजरीवाल-किरण बेदी की तरह लाखों डॉलर का ngo
का धंधा करिए और कहिए भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए जान दे देंगे. लोकतंत्र का कायदा है कि अरबों रूपए का काला धन इकट्ठा कर के बाबा रामदेव की तरह काले धन के खिलाफ रामदेव लीला करिए. शिवपाल यादव ने यही ग़लती कर दी. उन्हें पता चल गया कि अफसर डाका दाल रहे हैं सो उन्होंने कहा भई चोरी कर लो डाका मत डालो.          लोकतंत्र में बात कहने के अपने कायदे हैं. अब आप ही बताइए कि राजा , राडिया, टाटा, अम्बानी से बड़ा डाका किसने डाला है? पूरे डाके में राडिया की दलाली यानी लोबिंग की धूम मची हुई थी तब सलमान खुर्शीद कह रहे थे कि लोबिंग लोकतंत्र का हिस्सा है. तब किसी ने बुरा नहीं माना . सो इन चालाक चतुर नेताओं से कोई उम्मीद नहीं है, अगर कोई उम्मीद है तो शिवपाल जैसे नेताओं से ही है कि एक दिन वे अपने सीधे सच्चे अंदाज़ में यह कह सकेंगे कि भैया क्यों इतना हल्ला काट रहे हो घोटाले , काला धन और भ्रष्टाचार ही असली लोकतंत्र है.

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