Saturday, 24 September 2011

फ़ॉर्मूला हिट हो गया

देश अब इस स्थिति में आ चुका है कि मुन्नी बदनाम हुई आइटम साँग की तरह कब क्या हिट हो जाए कुछ पता नहीं. किसने सोचा होगा कि कभी आइटम साँग ही इस देश की सबसे बड़ी संगीत कला बन जाएगा कि बड़ी - बड़ी अभिनेत्रियां आइटम डांस करने को दीवानी हो उठेंगी. क्या पता कल को कोई नृत्य - संगीत का विद्वान आइटम नंबर को ही इस युग की सबसे बड़ी संगीत उपलब्धि सिद्ध कर दे. तर्क तो बहुत से हो सकते हैं. मसलन - आइटम ही ऐसा नृत्य है जिससे पूरे शरीर का व्यायाम होता है और शरीर स्वस्थ रहता है. योग की तरह आइटम भी रोग भगाने का उत्तम सधन है. दर्शक आइटम से आनंदित होते हैं और उन का मन प्रसन्न रहता है. वे एकाग्रचित होकर ध्यान योग की अवस्था में पहुँच जाते हैं.
इधर राखी सावंत और बाबा रामदेव की जिस तरह की खबरें लगातार छप रही हैं उससे भी यही सिद्ध होता है कि आइटम और योग का ज़रूर कोई गहरा संबंध है अब बाबा रामदेव को ही देख लीजिए. इस देश में ऋषियों व योगियों की कोई कमी रही है. ऋषि, मुनि , योगी सिर्फ़ इसी पावन भूमि में पैदा हुए हैं. लोग बताते हैं यहाँ तो जो बच्चा पैदा होता है वह योग करते हुए ही पैदा होता है. बड़े - बड़े योगी लोगों को सदियों से योग सिखा रहे हैं. पर फार्मूला हिट हुआ तो सिर्फ़ बाबा रामदेव का. मात्र 10 साल में एक टूटी साइकिल से हवाई जहाज तक का जो सफ़र उन्होंने तय किया और जितनी लोकप्रियता हासिल की उसे देखकर तो खुद पतंजलि को भी डिप्रेशन होता होगा. खैर बाबा रामदेव को देखकर तो अच्छे - अच्छे कुंठा ग्रस्त हो जाते हैं. पहले आई.ए.एस., आई.पी.एस स्तर के अधिकारी मन मसोसते थे- क्या फ़ाइदा सिविल सर्विसिज पास कर अधिकारी बनने का? अनपढ़ नेता चुनाव जीतकर मंत्री बन जाते हैं, हमारे ऊपर न सिर्फ़ हुक्म चलाते हैं बल्कि एक शासन काल में इतना पैसा खींच लेते हैं कि हम पूरी ज़िंदगी में नहीं कमा पाते. पर इधर जिस तरह बाबा रामदेव ने पूरी दुनिया में टापू खरीदे हैं, दवाओं की फ़ैक्ट्रियां खोली हैं, रुपओं के ढेर लगा दिए हैं उससे अब उनकी कुंठा बहुत बढ़ गई है और वे अब आहें भरते हैं कि इससे तो अच्छा रहता बाबा रामदेव की तरह 8 वां पास करके लोगों को पेट चलाना सिखाने लगते. 10 साल में बाबा ने जितना कमाया है उतना कमाने के लिए तो 10 जन्म में आई.ए.एस बनना पड़ेगा. पर बात वही है, सबका फार्मूला हिट नहीं हो जाता. वरना इस देश में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो आठवां पास करने के के बाद योग सिखाने लगे, कोई उनसे पेट चलाना सीखने नहीं आया उनकी ज़िंदगी अपना पेट चलाने में ही निकल गई और वे रामदेव नहीं बन पाए. कमी तो ऐसे लोगों की भी नहीं है जिन्होंने अपना सब कुछ झोंककर सिविल की तैयारी की और एस.पी, कलेक्टर बनते बनते रह गए पर बन नहीं पाए. जब एस.पी कलेक्टर नहीं बन पाए तो क्लर्क बनने लाइक भी नहीं रहे और बाद में दो जून रोटी के भी लाले पड़ गए. सो प्यारे, नेता या रामदेव को देखकर कुंठा पालना ठीक नहीं, खुश रहो, जो बन गए वह भी कम नहीं है, भले ही आप विदेशों में टापू न ख़रीद पाएं पर सिविलियन बन के भी शहर या राज्य खरीदने लायक जुगाड़ आप बना लेंगे.
आडवाणी का रथयात्रा का फॉर्मूला तो इस क़दर सुपर हिट हुआ कि उसने भाजपा को भी एक राजनीतिक पार्टी सिद्ध कर दिया. आडवाणी के मनो-मष्तिस्क पर उसका ऐसा असर पड़ा कि वे भूल ही गए कि इस फॉर्मूले के अलावा राजनीति में कोई दूसरा फॉर्मूला भी आज़माया जा सकता है.
इधर गाँधी का उपवास वाला फॉर्मूला जितना हिट हुआ है उसकी कल्पना तो ख़ुद गाँधी ने भी नहीं की होगी. कुछ दिन पहले ही 12दिन का उपवास कर के अन्ना हज़ारे ने पूरे देश को टोपी पहना दी. अब गुजारात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सद्भावना के लिए 3 दिन का उपवास रखा है. मोदी की छवि सद्भाव बिगाड़ने वाली रही है. ऐसा बताया जाता है कि गुजरात के दंगे उन्होंने ही प्रायोजित कराए थे. अमेरिका ने उन्हें वीज़ा नहीं दिया, उसका भी यही कहना था कि मोदी गुजरात दंगों के गुनहगार हैं. पर इससे क्या, अन्ना के उपवास के फोर्मूले के हिट होते ही मोदी को भी लगा होगा यह फोर्मूला भी आज़मा के देख लिया जाए, अन्ना के मामले में हिट हो चुका है, क्या पता उनके मामले में भी हिट हो जाए. 3 दिन भूखा ही तो रहना है. फ़िर क्या पता आडवाणी की रथयात्रा की तरह की तरह उपवास का फॉर्मूला हिट हो जाए.
अगर मोदी का उपवास का फॉर्मूला हिट हो गया तो फिर इस की प्रक्टिस की संभावना बहुत बढ़ जाएगी. मसलन उसके बाद रेड्डी बंधु अवैध खनन को रोकने के लिए उपवास पर जा सकते हैं. ए. राजा, कलमाड़ी आदि घोटाले रोकने के लिए उपवास पर जा सकते हैं, दाऊद जैसे कुछ लोग अंडर वर्ल्ड के विरुद्ध उपवास पर जा सकते हैं.

No comments:

Post a Comment